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Tuesday 15 March 2011

RABHAR JI

अमर राजभर जी-
बढे कदम रुकते नहीं
रुके कदम बड़ते नहीं
पानी हो मंजिल तो
पीछे मुड देखते नहीं
माना है मुस्किले रास्तो में
सुनसान सड़क है और अँधेरी राते है
एक दिया तो जलाओ रस्ते खुद ब खुद जगमाएँगे
आगे बदने का होसला रखो मंजिल सामने आएंगी
मत सोचो इतिहास ने हमे क्या दिया
हम इतिहास बनाएँगे
राजभर को इसका हक़ दिलाएंगे !  
अमर राजभर जी सुरहन आजमगढ़ 
9278447743

 

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